A Door Into Hindi: Lesson 18

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A Door Into Hindi

By Afroz Taj

Lesson 18 Script

 

हैदराबाद की कहानी

 

अफ़रोज़:

यहां दो झीलें हैं।

 

यह झील बहुत ख़ूबसूरत है।

जान:

इस झील का नाम क्या है?

अफ़रोज़:

इस झील को लोग हुसैन सागर कहते हैं।

 

दूसरी झील का नाम उसमान सागर है।

जान:

क्या यहाँ पहाड़ भी हैं?

अफ़रोज़:

जी हाँ।

 

हैदराबाद में बंजारा हिल्ज़ का एक इलाक़ा है

 

जहाँ अच्छे अच्छे मकान हैं।

जान:

चार मीनार के आस पास कितने बाज़ार हैं?

अफ़रोज़:

चार मीनार के आस पास कई बाज़ार हैं?

 

लेकिन लाड़ बाज़ार बहुत ख़ूबसूरत है।

जान:

इस बाज़ार की क्या ख़ास बात है?

अफ़रोज़:

यहाँ ज़्यादातर चूड़ियाँ या ज़ेवरात मिलते हैं।

 

इस वजे से यहाँ चारों तरफ़ औरतें

 

या लड़कियाँ चीज़ें ख़रीदने आते हैं।

 

और वह देखो, वह है मक्कह मसजिद।

 

हैदराबाद में बहुत बड़े महल हैं।

 

चौमहल्लह अंदर से बड़ा ख़ूबसूरत है।

 

हैदराबाद के महलों की बड़ी बड़ी

 

ख़ूबसूरत कहानियाँ मशहूर हैं।

 

मैं तुमको एक सच्ची कहानी सनाता हूँ।

जान:

अच्छा, सुनाओ।

अफ़रोज़:

यह बहुत पुरानी बात है।

 

यहीं कहीं किसी महल में एक भोली भाली लड़की रहती थी

 

जिसका नाम था गुलज़ार बानो।

 

उसके वालिद साहब किसी नवाबी ख़ानदान से थे

 

जिसका नाम था नवाब बन्ने मियाँ।

 

उनको अपनी बेटी गुलज़ार बानो से बहुत प्यार था।

 

उन्होंने अपनी बेटी के लिये एक लड़का चुन लिया था

 

जो नवाब शमशेर ख़ान का लाडला बेटा था

 

जिसका नाम था लाडले मियाँ।

 

वह बचपन से ही आशिक़ मिज़ाज और फूलों का शौक़ीन था।

 

लाडले मियाँ को मालूम था कि गुलज़ार बानो उनकी मंगेतर है।

 

इस लिये वह गुलज़ार बानो पर अपना हक़ जमाके जगह जगह उनका पीछा करते थे।

 

गुलज़ार बानो को यह बात पसंद न थी।

 

उसे डर था कि कहीं कोई देख न ले।

 

एक दिन लाडले मियाँ लाड़ बाज़ार में गुलज़ार बानो का पीछा करते हुए आ गए।

 

गुलज़ार बानो:

उफ़ आप यहाँ भी आ गए !

 

कहीं लोग देख न लें।

लाडले मियाँ:

मैं गोलकंदा घूमना चाहता हूँ।

गुलज़ार बानो:

तो जाएँ न ! कोन रोक रहा है ?

 

यहाँ क्यों खड़े हुए हैं ?

लाडले मियाँ:

गुलज़ार बानो तुम्हारे बिना नहीं जाना चाहता हूँ।

 

तुम्हारे साथ जाना चाहता हूँ।

 

तुम्हारे बग़ैर सारी दुनिया बेकार है।

 

तुम्हें देखे बिना मैं नहीं रह सकता।

 

मैं तुम्हारे लिये पैदा हुआ हूँ।

 

काश तुम समझतीं। काश ….

गुलज़ार बानो:

अच्छा चलिये। आपको कहाँ चलना है ?

 

आपको मालूम है मुझे इस तरह छुप छुप कर मिलना पसंद नहीं।

लाडले मियाँ:

मेरा तुम पर हक़ है।

 

मेरी तुमसे शादी होगी।

गुलज़ार बानो:

लेकिन अभी आपकी मेरी शादी नहीं हुई है।

 

मेरे ख़्याल से हमें शादी से पहले मिलना नहीं चाहिये।

 

मैने यह हज़ार बार कहा है लेकिन आप नहीं मानते।

गुलज़ार बानो:

कहीं अम्मी मेरा इन्तज़ार न कर रही हों।

लाडले मियाँ:

तुम अपनी अम्मी की फ़िक्र कर रही हो।

 

मेरी तरफ़ देखो। क्या तुम्हें मेरा ख़्याल नहीं ?

 

सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं तुम्हारे लिये ही पैदा हुआ हूँ।

 

वह देखो ! कितना ख़ूबसूरत है हैदराबाद !

 

यह सारा हैदराबाद तुम्हारे लिये ख़रीद सकता हूँ।

बुलज़ार बानो:

मुझे नहीं चाहिये सारा हैदराबाद।

 

मुफ़े अपने घर जाना है।

 

मेरी अम्मी मेरे बग़ैर खाना नहीं खातीं।

लाडले मियाँ:

गुलज़ार बानो तुम मेरे प्यार को महसूस करो।

 

मुझ पर भरोसा करो।

 

तुम्हारा महबूब तुम्हारे सामने खड़ा है।

लड़की:

लाडले मियाँ तुम! यह क्या हो रहा है ?

लाडले मियाँ:

अरे अरे ! सुनो फ़रज़ाना !

 

मैं सोचता हूँ कि अब हमको चलना चाहिये।

गुलज़ार बानो:

जी हाँ। मेरी राय है कि अब हमको चलना चाहिये।

 

गुलज़ार बानो:

अम्मी जान बराए करम आप कुछ कीजिये।

 

मुझे लाडले मियाँ बिलकुल पसंद नहीं।

अम्मी जान:

बेटी, यह फ़ैसला तुम्हारे अब्बा जान का है।

 

मैं औरत हूँ, मैं तुम्हारी बात समझती हूँ।

 

लेकिन मेरे हाथ में कुछ भी नहीं।

 

काश यह मर्द लोग हमारी बात सुनते।

गुलज़ार बानो:

मैं मानती हूँ कि अब्बा जान ने मेरी शादी का फ़ैसला कर लिया है।

 

लेकिन क्या लाडले मियाँ के अलावा दुनिया में कोई और लड़का नहीं ?

 

मेरे राय है कि आप अब्बा जान से इसी बात पर बात करें।

अम्मी जान:

गुलज़ार बानो मैं आज बहुत थकी हुई हूँ

 

लेकिन फिर भी मैं उन से बात करूँगी।

 

बेटी अगर वह मेरी बात मानते तो कितना अच्छा होता।

गुलज़ार बानो:

शुक्रिया अम्मी।

 

बन्ने मियाँ:

बेगम, आप हमें जानती हैं।

 

हम जो फ़ैसला करते हैं, कभी बदलते नहीं।

बीवी:

लेकन गुलज़ार बानो को वह लड़का पसंद नहीं।

बन्ने मियाँ:

हम कुछ नहीं कर सकते।

 

आप लोगों को समझना चाहिये।

 

हम हैदराबाद के मशहूर नवाब हैं

 

और लाडले मियाँ भी नवाब के बेटे हैं।

 

उन से अच्छा लड़का सारे हैदराबाद में कोई नहीं।

बीवी:

लड़की की मर्ज़ी के बिना उसकी शादी करना इसलाम के ख़िलाफ़ है।

 

हम लोग निकाह से पहले लड़की से निकाह की इजाज़त लेते हैं।

बन्ने मियाँ:

बेगम! हमको बहस पसंद नहीं।

 

बहस करने के बजाए शादी की तैयारी कीजिये।

 

क़ाज़ी:

आप गुलज़ार बानो बिनते नवाब बन्ने मियाँ ख़ान साहब का अक़्द ब-एवज़

 

सवा लाख रुपये सिक्का राएजुल वक़्त महर--मुअज्जल

 

नवाब लाडले मियाँ वल्द नवाब

 

शमशेर अली ख़ान साहब से होना क़रार पाया है।

 

क्या आपको क़बूल है?

गुलज़ार बानो:

जी नहीं। जी नहीं।

बन्ने मियाँ:

बेटी, हाँ कहो।

 

अल्लाह ने लड़कियों को अपना शोहर चुनने का हक़ दिया है।

 

अल्लाह ने तुमको हाँ कहने का हक़ दिया।

गुलज़ार बानो:

अब्बा जान, आप यह क्यों नहीं समझते कि

 

अल्लाह ने हमको हाँ कहने का हक़ दिया है

 

तो न कहने का हक़ भी दिया है।

 

आप लोग हम लड़कियों से हाँ कहने की उम्मीद क्यों करते हैं ?

 

हमको न कहने का भी हक़ है।

 

दरवाज़े पर बारात बुला कर आप मेरी इजाज़त ले रहे हैं !

 

अब्बा जान मैं आप से बदला लेना नहीं चाहती हूँ।

 

आप यक़ीन कीजिये कि मैं आपकी मर्ज़ी के बिना शादी नहीं करूँगी।

 

मैं शादी उसी से करूँगी जिसको आप पसंद करेंगे,

 

लेकिन मैं शादी उसी से करूँगी जिसकी मै इज़्ज़त करूँ।

बन्ने मियाँ:

तुम सच कहती हो बेटी।

 

यह ग़लती मेरी थी।

 

जान:

फिर क्या हुआ?

 

फिर उस लड़की ने शादी किसी से की ?

अफ़रोज़:

एक साल के बाद नवाब बन्ने मियाँ ने एक और

 

लड़का गुलज़ार बानो को दिखाया।

 

गुलज़ार बानो ने उसी को बहुत पसंद किया

 

और निकाह के वक़्त हाँ कर दी।

जान:

बड़ी अच्छी कहानी है।

 

अब वह दोनों कहाँ रहते हैं?

अफ़रोज़:

यह बहुत पुरानी कहानी है।

 

गुलज़ार बानो और उनके शोहर का इन्तख़ाल हो गया।

जान:

तुम्हें यह कहानी कैसे मालूम हुआ ?

अफ़रोज़:

क्योंकि वह मेरे माँ बाप थे।