अफ़रोज़:
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यहां दो झीलें हैं।
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यह झील बहुत ख़ूबसूरत है।
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जान:
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इस झील का नाम क्या है?
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अफ़रोज़:
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इस झील को लोग हुसैन सागर कहते हैं।
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दूसरी झील का नाम उसमान सागर है।
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जान:
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क्या यहाँ पहाड़ भी हैं?
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अफ़रोज़:
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जी हाँ।
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हैदराबाद में बंजारा हिल्ज़ का एक इलाक़ा है
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जहाँ अच्छे अच्छे मकान हैं।
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जान:
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चार मीनार के आस पास कितने बाज़ार हैं?
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अफ़रोज़:
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चार मीनार के आस पास कई बाज़ार हैं?
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लेकिन लाड़ बाज़ार बहुत ख़ूबसूरत है।
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जान:
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इस बाज़ार की क्या ख़ास बात है?
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अफ़रोज़:
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यहाँ ज़्यादातर चूड़ियाँ या ज़ेवरात मिलते हैं।
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इस वजे से यहाँ चारों तरफ़ औरतें
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या लड़कियाँ चीज़ें ख़रीदने आते हैं।
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और वह देखो, वह है मक्कह मसजिद।
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हैदराबाद में बहुत बड़े महल हैं।
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चौमहल्लह अंदर से बड़ा ख़ूबसूरत है।
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हैदराबाद के महलों की बड़ी बड़ी
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ख़ूबसूरत कहानियाँ मशहूर हैं।
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मैं तुमको एक सच्ची कहानी सनाता हूँ।
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जान:
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अच्छा, सुनाओ।
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अफ़रोज़:
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यह बहुत पुरानी बात है।
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यहीं कहीं किसी महल में एक भोली भाली लड़की रहती थी
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जिसका नाम था गुलज़ार बानो।
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उसके वालिद साहब किसी नवाबी ख़ानदान से थे
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जिसका नाम था नवाब बन्ने मियाँ।
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उनको अपनी बेटी गुलज़ार बानो से बहुत प्यार था।
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उन्होंने अपनी बेटी के लिये एक लड़का चुन लिया था
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जो नवाब शमशेर ख़ान का लाडला बेटा था
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जिसका नाम था लाडले मियाँ।
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वह बचपन से ही आशिक़ मिज़ाज और फूलों का शौक़ीन था।
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लाडले मियाँ को मालूम था कि गुलज़ार बानो उनकी मंगेतर है।
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इस लिये वह गुलज़ार बानो पर अपना हक़ जमाके जगह जगह उनका पीछा करते थे।
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गुलज़ार बानो को यह बात पसंद न थी।
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उसे डर था कि कहीं कोई देख न ले।
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एक दिन लाडले मियाँ लाड़ बाज़ार में गुलज़ार बानो का पीछा करते हुए आ गए।
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गुलज़ार बानो:
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उफ़ आप यहाँ भी आ गए !
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कहीं लोग देख न लें।
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लाडले मियाँ:
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मैं गोलकंदा घूमना चाहता हूँ।
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गुलज़ार बानो:
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तो जाएँ न ! कोन रोक रहा है ?
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यहाँ क्यों खड़े हुए हैं ?
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लाडले मियाँ:
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गुलज़ार बानो तुम्हारे बिना नहीं जाना चाहता हूँ।
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तुम्हारे साथ जाना चाहता हूँ।
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तुम्हारे बग़ैर सारी दुनिया बेकार है।
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तुम्हें देखे बिना मैं नहीं रह सकता।
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मैं तुम्हारे लिये पैदा हुआ हूँ।
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काश तुम समझतीं। काश ….
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गुलज़ार बानो:
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अच्छा चलिये। आपको कहाँ चलना है ?
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आपको मालूम है मुझे इस तरह छुप छुप कर मिलना पसंद नहीं।
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लाडले मियाँ:
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मेरा तुम पर हक़ है।
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मेरी तुमसे शादी होगी।
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गुलज़ार बानो:
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लेकिन अभी आपकी मेरी शादी नहीं हुई है।
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मेरे ख़्याल से हमें शादी से पहले मिलना नहीं चाहिये।
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मैने यह हज़ार बार कहा है लेकिन आप नहीं मानते।
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गुलज़ार बानो:
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कहीं अम्मी मेरा इन्तज़ार न कर रही हों।
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लाडले मियाँ:
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तुम अपनी अम्मी की फ़िक्र कर रही हो।
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मेरी तरफ़ देखो। क्या तुम्हें मेरा ख़्याल
नहीं ?
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सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं तुम्हारे लिये ही पैदा हुआ हूँ।
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वह देखो ! कितना ख़ूबसूरत है हैदराबाद !
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यह सारा हैदराबाद तुम्हारे लिये ख़रीद सकता हूँ।
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बुलज़ार बानो:
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मुझे नहीं चाहिये सारा हैदराबाद।
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मुफ़े अपने घर जाना है।
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मेरी अम्मी मेरे बग़ैर खाना नहीं खातीं।
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लाडले मियाँ:
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गुलज़ार बानो तुम मेरे प्यार को महसूस करो।
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मुझ पर भरोसा करो।
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तुम्हारा महबूब तुम्हारे सामने खड़ा है।
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लड़की:
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लाडले मियाँ तुम! यह क्या हो रहा है
?
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लाडले मियाँ:
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अरे अरे ! सुनो फ़रज़ाना !
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मैं सोचता हूँ कि अब हमको चलना चाहिये।
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गुलज़ार बानो:
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जी हाँ। मेरी राय है कि अब हमको चलना चाहिये।
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गुलज़ार बानो:
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अम्मी जान बराए करम आप कुछ कीजिये।
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मुझे लाडले मियाँ बिलकुल पसंद नहीं।
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अम्मी जान:
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बेटी, यह फ़ैसला तुम्हारे
अब्बा जान का है।
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मैं औरत हूँ, मैं तुम्हारी बात समझती
हूँ।
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लेकिन मेरे हाथ में कुछ भी नहीं।
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काश यह मर्द लोग हमारी बात सुनते।
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गुलज़ार बानो:
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मैं मानती हूँ कि अब्बा जान ने मेरी शादी का फ़ैसला कर लिया है।
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लेकिन क्या लाडले मियाँ के अलावा दुनिया में कोई और लड़का नहीं ?
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मेरे राय है कि आप अब्बा जान से इसी बात पर बात करें।
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अम्मी जान:
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गुलज़ार बानो मैं आज बहुत थकी हुई हूँ
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लेकिन फिर भी मैं उन से बात करूँगी।
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बेटी अगर वह मेरी बात मानते तो कितना अच्छा होता।
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गुलज़ार बानो:
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शुक्रिया अम्मी।
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बन्ने मियाँ:
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बेगम, आप हमें जानती हैं।
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हम जो फ़ैसला करते हैं, कभी बदलते नहीं।
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बीवी:
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लेकन गुलज़ार बानो को वह लड़का पसंद नहीं।
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बन्ने मियाँ:
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हम कुछ नहीं कर सकते।
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आप लोगों को समझना चाहिये।
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हम हैदराबाद के मशहूर नवाब हैं
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और लाडले मियाँ भी नवाब के बेटे हैं।
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उन से अच्छा लड़का सारे हैदराबाद में कोई नहीं।
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बीवी:
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लड़की की मर्ज़ी के बिना उसकी शादी करना इसलाम के ख़िलाफ़ है।
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हम लोग निकाह से पहले लड़की से निकाह की इजाज़त लेते हैं।
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बन्ने मियाँ:
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बेगम! हमको बहस पसंद नहीं।
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बहस करने के बजाए शादी की तैयारी कीजिये।
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क़ाज़ी:
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आप गुलज़ार बानो बिनते नवाब बन्ने मियाँ ख़ान साहब का अक़्द ब-एवज़
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सवा लाख रुपये सिक्का राएजुल वक़्त महर-ए-मुअज्जल
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नवाब लाडले मियाँ वल्द नवाब
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शमशेर अली ख़ान साहब से होना क़रार पाया है।
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क्या आपको क़बूल है?
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गुलज़ार बानो:
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जी नहीं। जी नहीं।
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बन्ने मियाँ:
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बेटी, हाँ कहो।
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अल्लाह ने लड़कियों को अपना शोहर चुनने का हक़ दिया है।
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अल्लाह ने तुमको हाँ कहने का हक़ दिया।
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गुलज़ार बानो:
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अब्बा जान, आप यह क्यों नहीं समझते
कि
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अल्लाह ने हमको हाँ कहने का हक़ दिया है
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तो न कहने का हक़ भी दिया है।
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आप लोग हम लड़कियों से हाँ कहने की उम्मीद क्यों करते हैं ?
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हमको न कहने का भी हक़ है।
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दरवाज़े पर बारात बुला कर आप मेरी इजाज़त ले रहे हैं !
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अब्बा जान मैं आप से बदला लेना नहीं चाहती हूँ।
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आप यक़ीन कीजिये कि मैं आपकी मर्ज़ी के बिना शादी नहीं करूँगी।
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मैं शादी उसी से करूँगी जिसको आप पसंद करेंगे,
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लेकिन मैं शादी उसी से करूँगी जिसकी
मै इज़्ज़त करूँ।
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बन्ने मियाँ:
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तुम सच कहती हो बेटी।
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यह ग़लती मेरी थी।
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जान:
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फिर क्या हुआ?
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फिर उस लड़की ने शादी किसी से की ?
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अफ़रोज़:
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एक साल के बाद नवाब बन्ने मियाँ ने एक और
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लड़का गुलज़ार बानो को दिखाया।
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गुलज़ार बानो ने उसी को बहुत पसंद किया
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और निकाह के वक़्त हाँ कर दी।
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जान:
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बड़ी अच्छी कहानी है।
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अब वह दोनों कहाँ रहते हैं?
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अफ़रोज़:
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यह बहुत पुरानी कहानी है।
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गुलज़ार बानो और उनके शोहर का इन्तख़ाल हो गया।
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जान:
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तुम्हें यह कहानी कैसे मालूम हुआ ?
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अफ़रोज़:
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क्योंकि वह मेरे माँ बाप थे।
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